2024 में कोयले से उत्पन्न बिजली का उत्पादन रिकॉर्ड 10,700 टेरावाट-घंटे तक पहुंच सकता है। हालांकि, कोयले की खपत में वृद्धि मुख्य रूप से बिजली उत्पादन से जुड़ी है। औद्योगिक खपत में भी इजाफा हुआ है, लेकिन इसकी तुलना में बिजली क्षेत्र का योगदान अधिक रहा है।
चीन और भारत की भूमिका
दुनिया का सबसे बड़ा कोयला उपभोक्ता चीन है, जहां बिजली संयंत्रों में वैश्विक कोयले का एक तिहाई जलाया जाता है। 2024 में चीन की कोयला मांग में 1% की वृद्धि होने का अनुमान है, जिससे यह 490 करोड़ टन तक पहुंच सकती है। वहीं, भारत में 5% की वृद्धि के साथ यह मांग 130 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है।
अक्षय ऊर्जा का बढ़ता प्रभाव
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि दुनिया में अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर और पवन ऊर्जा का तेजी से विस्तार हो रहा है। चीन ने 2024 तक कई नए परमाणु संयंत्र भी स्थापित किए हैं। इन प्रयासों के चलते 2027 तक कोयले की मांग स्थिर होने का अनुमान है।
यूरोप और अमेरिका में गिरावट जारी
यूरोपीय संघ और अमेरिका में कोयले की मांग में गिरावट देखी जा रही है। 2024 में यूरोपीय संघ की मांग में 12% और अमेरिका में 5% की गिरावट होने की संभावना है। यह गिरावट अक्षय ऊर्जा और सस्ती प्राकृतिक गैस जैसे वैकल्पिक स्रोतों के बढ़ते उपयोग के कारण हो रही है।
एशिया बना कोयला व्यापार का केंद्र
वैश्विक कोयला व्यापार 2024 में 155 करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान है। एशिया, जिसमें चीन, भारत, जापान, कोरिया और वियतनाम प्रमुख आयातक हैं, इस व्यापार का केंद्र बना हुआ है। इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया इसके सबसे बड़े निर्यातक हैं।
जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव
कोयले की बढ़ती मांग जलवायु परिवर्तन के लिए चिंता का विषय है। कोयले का उपयोग बड़ी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करता है, जो जलवायु संकट को और गहरा बनाता है।