प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 के दौरान संगम में लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। हालांकि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक ताज़ा रिपोर्ट ने संगम के जल की गुणवत्ता पर गंभीर चिंताएँ व्यक्त की हैं। रिपोर्ट के अनुसार, संगम का पानी स्नान के लिए सुरक्षित नहीं है।
CPCB की रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
CPCB ने 9 से 21 जनवरी 2025 के बीच प्रयागराज के 73 विभिन्न स्थानों से जल के नमूने एकत्रित किए। इन नमूनों की जाँच छह प्रमुख मानकों पर की गई, जिनमें पीएच स्तर, फीकल कोलीफॉर्म, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD), केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (COD), और घुले हुए ऑक्सीजन का स्तर शामिल हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि अधिकांश स्थानों पर फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा निर्धारित मानकों से अधिक है, जो जल की गुणवत्ता को प्रभावित करती है।
फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया: स्वास्थ्य के लिए खतरा
फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की उच्च मात्रा जल में मल-जल प्रदूषण का संकेत देती है। सामान्यतः, प्रति 100 मिलीलीटर जल में 2,500 यूनिट फीकल कोलीफॉर्म स्वीकार्य मानी जाती है, लेकिन संगम क्षेत्र में यह मात्रा इससे कहीं अधिक पाई गई है। इससे त्वचा संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
NGT की क्या प्रतिक्रिया रही
CPCB की इस रिपोर्ट के बाद, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) को फटकार लगाई है। NGT ने UPPCB को जल प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, लेकिन UPPCB ने केवल कुछ जल परीक्षण रिपोर्टों के साथ एक पत्र प्रस्तुत किया। NGT ने UPPCB के सदस्य सचिव और जल गुणवत्ता से जुड़े अधिकारियों को 19 फरवरी 2025 को वर्चुअल उपस्थिति का आदेश दिया है।
नदी की सफाई के प्रयास
प्रयागराज नगर निगम और उत्तर प्रदेश जल निगम ने गंगा और यमुना नदियों की सफाई के लिए कई कदम उठाए हैं। जियो-ट्यूब तकनीक का उपयोग करके 23 अनटैप्ड नालों के अपशिष्ट जल को शोधित किया जा रहा है। 1 जनवरी से 4 फरवरी 2025 के बीच 3,660 मिलियन लीटर साफ किया गया पानी गंगा में छोड़ा गया है। इसके अलावा, ट्रैश स्किमर मशीनों की मदद से प्रतिदिन 10-15 टन कचरा नदियों से निकाला जा रहा है।
श्रद्धालुओं के लिए सलाह
संगम के जल में उच्च फीकल कोलीफॉर्म स्तर के कारण, विशेषज्ञों ने श्रद्धालुओं को सावधानी बरतने की सलाह दी है। नदी के जल में स्नान करने से त्वचा संबंधी बीमारियाँ और अन्य संक्रमण हो सकते हैं। इसलिए, स्नान के बाद स्वच्छ जल से अच्छी तरह से स्नान करना और व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखना अतिआवश्यक है।
महाकुंभ 2025 में संगम का जल प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा है, जिसे तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे ताकि श्रद्धालुओं की आस्था और स्वास्थ्य दोनों सुरक्षित रह सकें।