ला नीना और एल नीनो प्रशांत महासागर में उत्पन्न होने वाली जलवायु घटनाएँ हैं, जो वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करती हैं। हाल ही में, प्रशांत महासागर में एक कमज़ोर ला नीना घटना देखी गई है, जिसके परिणामस्वरूप ठंडे पानी की उपस्थिति और संभावित रूप से ठंडा मौसम हो सकता है। हालांकि, यह घटना अपेक्षाकृत कमज़ोर और विलंबित है, जिसके कारण इसके प्रभाव सीमित हो सकते हैं।
एल नीनो और ला नीना क्या हैं?
एल नीनो और ला नीना, जिन्हें संयुक्त रूप से एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) कहा जाता है, प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में होने वाले परिवर्तन हैं। एल नीनो के दौरान, पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर का सतही जल असामान्य रूप से गर्म हो जाता है, जबकि ला नीना के दौरान यह असामान्य रूप से ठंडा हो जाता है। ये परिवर्तन वैश्विक मौसम पैटर्न, जैसे वर्षा, तापमान, और तूफानों की आवृत्ति को प्रभावित करते हैं।
ला नीना के प्रभाव
ला नीना के दौरान, प्रशांत महासागर में पूर्व से पश्चिम की ओर चलने वाली व्यापारिक हवाएँ मजबूत हो जाती हैं, जिससे इंडोनेशिया और आसपास के क्षेत्रों में अधिक बादल और वर्षा होती है। हालांकि, वर्तमान ला नीना घटना अपेक्षाकृत कमज़ोर है और इसके प्रभाव सीमित हो सकते हैं। नेशनल ओसियेनिक एंड ऐटमॉसफीयरिक एडमिनिस्ट्रेशन,NOAA की हालिया रिपोर्ट के अनुसार इस बात की 59% संभावना है कि ला नीना फरवरी से अप्रैल तक बनी रहेगी, जिसके बाद इसके समाप्त होने की उम्मीद है।
एल नीनो के प्रभाव
एल नीनो के दौरान, प्रशांत महासागर का सतही जल गर्म हो जाता है, जिससे वैश्विक मौसम पैटर्न में महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। उदाहरण के लिए, दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर भारी वर्षा और बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है, जबकि ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा, एल नीनो के कारण समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र, जैसे कोरल रीफ्स, पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।
एल नीनो और ला नीना जैसी जलवायु घटनाएँ वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करती हैं और इनके प्रभाव क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर महसूस किए जा सकते हैं। हालांकि वर्तमान ला नीना घटना कमज़ोर है, फिर भी यह मौसम के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, इन घटनाओं की निगरानी और समझ महत्वपूर्ण है ताकि हम उनके प्रभावों के लिए बेहतर तैयारी कर सकें।