महाकुंभ 2025: जानिए 45 करोड़ श्रद्धालुओं के लिए कैसे साफ होगी गंगा नदी?

महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 13 फरवरी तक उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में होगा। इस बार, लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है। इस भव्य धार्मिक आयोजन में लाखों लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं, लेकिन यह सवाल उठता है कि इतनी बड़ी भीड़ के बीच नदी को कैसे साफ रखा जाएगा, खासकर जब गंगा में प्रदूषण की समस्या लगातार बनी हुई है।

गंगा में प्रदूषण नियंत्रण के उपाय

महाकुंभ के दौरान गंगा नदी में होने वाली भीड़ का प्रबंधन चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन इसे साफ रखने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। नेशनल क्लीन गंगा मिशन के पूर्व महानिदेशक, राजीव रंजन मिश्रा के मुताबिक, नदी को स्वच्छ रखने के लिए जल प्रवाह का सुधार सबसे अहम कदम है। जब नदी में पर्याप्त जल प्रवाह होता है, तो यह प्राकृतिक रूप से प्रदूषण को कम करने में सक्षम होती है। लेकिन गंगा की निर्मलता बनाए रखने के लिए यह सिर्फ जल प्रवाह पर निर्भर नहीं है। रासायनिक प्रदूषण को नियंत्रित करना, जैव विविधता का संरक्षण और सीवेज उपचार की मशीनरी को सक्षम बनाना भी जरूरी है।

महाकुंभ के दौरान बढ़ने वाली सीवेज समस्या

महाकुंभ के दौरान, हर दिन करीब 5 करोड़ श्रद्धालु मेला क्षेत्र में होंगे। इससे अतिरिक्त सीवेज उत्पन्न होगा, जिसे प्रभावी तरीके से प्रबंधित करना चुनौतीपूर्ण होगा। इस समय तक, प्रयागराज में हर दिन करीब 471.93 मिलियन लीटर (एमएलडी) सीवेज पैदा होता है, जिसमें से काफी हिस्सा गंगा नदी में गिरता है। हालांकि, प्रयागराज में सीवेज प्रबंधन में सुधार के प्रयास किए गए हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर, सीवेज के उपचार की प्रक्रिया तेज की गई है। ताजे आंकड़ों के अनुसार, शहर के 81 नालों में से 37 को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से जोड़ा गया है। इन नालों से हर दिन 216.17 एमएलडी सीवेज का उपचार हो रहा है।

सीवेज प्रबंधन में सुधार

सरकार का दावा है कि महाकुंभ के दौरान उत्पन्न अतिरिक्त 10% सीवेज का भी उपचार किया जाएगा। हालांकि, 44 नालों में से कुछ अभी तक एसटीपी से जुड़े नहीं हैं। इन नालों से 77.42 एमएलडी सीवेज गंगा में गिरता है। सरकार ने वादा किया है कि 22 नालों को एसटीपी से जोड़ा जाएगा और अन्य 22 नालों का ऑनसाइट उपचार किया जाएगा। इस प्रकार, महाकुंभ के दौरान 10% अतिरिक्त सीवेज को प्रभावी रूप से उपचारित किया जाएगा।

जल प्रवाह बढ़ाने के उपाय

गंगा नदी में जल प्रवाह बढ़ाने के लिए कई बैराजों से अतिरिक्त पानी छोड़ा जा रहा है। टिहरी बांध से प्रतिदिन 2,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि नरोरा बैराज और कानपुर बैराज से भी पानी की आपूर्ति बढ़ाई गई है। इससे न केवल गंगा का जलस्तर बढ़ेगा, बल्कि प्रदूषण का स्तर भी कम होगा।

महाकुंभ और नदी प्रदूषण: एक अस्थायी समाधान?

गंगा नदी को स्वच्छ रखने के लिए ये प्रयास महाकुंभ के दौरान तो कारगर हो सकते हैं, लेकिन नदी के प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान इन उपायों से नहीं हो सकता। जल प्रवाह में सुधार और सीवेज उपचार पर ध्यान देने के बावजूद, नदी के प्रदूषण को पूरी तरह से समाप्त करना एक लंबी प्रक्रिया है। हालांकि, महाकुंभ के दौरान जलस्तर बढ़ाने और सीवेज का प्रभावी उपचार करने से नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा। अगर सरकार के दावे सही साबित होते हैं, तो श्रद्धालुओं को स्वच्छ जल में डुबकी लगाने का अवसर मिलेगा। लेकिन यदि प्रबंधन में कोई कमी रही तो नदी में बिना उपचारित सीवेज जा सकता है, जिससे अस्वच्छ जल में स्नान की संभावना बढ़ जाए

महाकुंभ 2025 के आयोजन से पहले प्रयागराज में गंगा नदी की सफाई के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। सीवेज उपचार, जल प्रवाह में सुधार और नालों से जुड़ी योजनाएं प्रदूषण नियंत्रण में मददगार साबित हो सकती हैं। हालांकि, यह अस्थायी समाधान है और दीर्घकालिक परिणामों के लिए गंगा की सफाई पर लगातार ध्यान देना जरूरी होगा।

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