चीन के डीपसीक की तरह भारत भी खुद तैयार कर रहा अपना स्वदेशी AI मॉडल

नेचर शोध पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि देश का पहला स्वदेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल अगले 10 महीनों में तैयार हो जाएगा  सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस परियोजना की जानकारी देते हुए बताया कि यह मॉडल भारत की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार विकसित किया जाएगा।
स्वदेशी AI मॉडल की आवश्यकता:
वर्तमान में, AI के क्षेत्र में प्रमुख मॉडल और तकनीकें मुख्यतः अमेरिका और चीन जैसे देशों के पास है। इन मॉडलों का उपयोग भारतीय संदर्भ में करने पर कई बार सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक चुनौतियाँ सामने आती हैं। उदाहरण के लिए, भाषाई विविधता के कारण, कई AI मॉडल भारतीय भाषाओं को सही ढंग से समझने में सक्षम नहीं होते। इसके अलावा, भारतीय समाज की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए AI समाधानों की आवश्यकता है।
सरकार की पहल:
मंत्री वैष्णव ने बताया कि इस स्वदेशी AI मॉडल के विकास के लिए सरकार ने एक विस्तृत योजना तैयार की है। इसमें देश के प्रमुख तकनीकी संस्थानों, शोधकर्ताओं और उद्योग जगत के विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाएगा। सरकार का उद्देश्य है कि यह मॉडल न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से उन्नत हो, बल्कि नैतिकता और गोपनीयता के मानकों का भी पालन करे।
भाषाई और सांस्कृतिक अनुकूलता:
भारत में 22 आधिकारिक भाषाएँ और सैकड़ों बोलियाँ हैं। इस विविधता को ध्यान में रखते हुए, स्वदेशी AI मॉडल को बहुभाषी समर्थन के साथ विकसित किया जाएगा, ताकि यह विभिन्न भारतीय भाषाओं में संवाद करने में सक्षम हो। इसके अलावा, सांस्कृतिक संदर्भों को समझने के लिए मॉडल को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे यह भारतीय उपयोगकर्ताओं के साथ अधिक प्रभावी ढंग से संवाद कर सके।
 
उद्योग और शिक्षा क्षेत्र का सहयोग:
इस परियोजना की सफलता के लिए उद्योग और शिक्षा क्षेत्र का सहयोग अतिमहत्वपूर्ण होगा। सरकार ने प्रमुख आईटी कंपनियों, स्टार्टअप्स और शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी की योजना बनाई है। इससे न केवल तकनीकी विशेषज्ञता मिलेगी, बल्कि उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार मॉडल को अनुकूलित करने में भी मदद मिलेगी।
 
नैतिकता और गोपनीयता:
AI के उपयोग में नैतिकता और गोपनीयता महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। सरकार ने आश्वासन दिया है कि स्वदेशी AI मॉडल के विकास में इन पहलुओं का विशेष ध्यान रखा जाएगा। उपयोगकर्ताओं के डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए सख्त प्रोटोकॉल अपनाए जाएंगे।
भविष्य की संभावनाएँ:
स्वदेशी AI मॉडल के विकास से भारत को कई लाभ हो सकते हैं। यह न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, जलवायु और परिवहन में AI आधारित समाधानों के विकास में भी मदद करेगा। इसके अलावा, यह मॉडल भारतीय स्टार्टअप्स और उद्यमियों के लिए नए अवसर पैदा करेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।
आम आदमी को क्या मिलेगा?
भारत का यह स्वदेशी AI मॉडल देश की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगा। सरकार की यह पहल न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को भी सम्मान देती है। यदि यह परियोजना सफल होती है, तो यह भारत को AI के क्षेत्र में वैश्विक लीडर बनने में मदद करेगी और देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।