अंधाधुंध बजरी खनन से संकट में घड़ियालों का कुनबा

धौलपुर स्थित चंबल नदी वन्यजीवों के लिए एक बेहतर सुरक्षित आशियाना माना जाता है इसका स्वच्छ जलीय पानी वन्यजीवों के लिए जीवनदान है। हालांकि बीते कुछ सालों से नदी किनारों से बजरी के अवैध खनन के कारण घड़ियालों की संख्या को नुक़सान पहुंचा है।

घड़ियालों की बड़ी संख्या चंबल नदी के किनारों पर प्रवास करती हैं। लेकिन अवैध बजरी खनन से इनके प्राकृतिक आवास को लगातार नुक़सान पहुंचा है। स्थानीय चंबल अभयारण्य प्रशासन द्वारा भी इसकी कोई निगरानी नहीं करी जा रही है।

अवैध बजरी खनन के बढ़ते दायरे से नुक़सान

धौलपुर की चंबल नदी के किनारे से बजरी का अवैध खनन होता है दिन भर बजरी खनन माफिया के वाहन दौड़ते रहते हैं जिससे घड़ियालों के स्वच्छंद ठिकाने प्रभावित होते हैं वाहनों के निकलने से इनके अंडे नष्ट हो जाते हैं खनन माफिया की दखलंदाजी से अब यह वन्य जीव एक सुरक्षित इलाके की तरफ रूख कर रहे हैं।

विश्वव्यापी सर्वे में सिर्फ 200 घड़ियाल शामिल

साल 1975 से 1977 के बीच विश्वव्यापी सर्वे में 200 घड़ियाल मिले थे। जिनमें सर्वाधिक 46 चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या थी। इसके बाद केन्द्र सरकार ने चंबल नदी के 435 किलोमीटर क्षेत्र को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य घोषित कर दिया गया था। इसमें सवाईमाधोपुर, कोटा, बूंदी, धौलपुर व करौली जिले आते हैं। फिर इनकी संख्या बढ़ाने के लिए मुरैना (मध्यप्रदेश) जिले के देवरी में 1980 में घड़ियाल केंद्र खोला गया था।

मार्च -अप्रैल में देते हैं अंडे

चंबल नदी में गढ़िया वालों का सुरक्षित दिखाना रहा है लेकिन अब बढ़ती अवैध बजरी खनन गतिविधियों के कारण इनका कुनबा दूसरी जगह है शिफ्ट हो रहा है। घड़ियाल दिसंबर और जनवरी माह में मेटिंग करते हैं जबकि मार्च अप्रैल में अंडे देते हैं जून माह में बच्चे अंडों से बाहर आ जाते हैं खास बात यह है कि इनमें से केवल 2% ही बच पाते हैं ।

बढ़ता अवैध बजरी खनन चंबल नदी के किनारे घड़ियालों की संख्या को संकट में डाल रहा है अतः इनके लिए देवरी जैसे घड़ियाल के केंद्र खोल जाना अति आवश्यक है साथ ही स्थानीय प्रशासन का निगरानी करना उचित रहेगा ताकि इन वन्यजीवों को एक सुरक्षित ठिकाना मिल सके।

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