आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के छात्रों ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जो पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकती है। आईएसएम ने नाइट्रोजन-ड्रॉप्ड मल्टीलेयर ग्राफीन नैनो पाउडर नामक एक विशेष सामग्री विकसित की है, जो न केवल कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) को प्रभावी ढंग से अवशोषित करती है, बल्कि इसे मूल्यवान रसायनों में भी परिवर्तित भी कर देती है। ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण प्रदूषण आज की दुनिया के सबसे बड़े चुनौतियों में से एक हैं। औद्योगिक इकाइयों और पावर प्लांट्स से निकलने वाली CO₂ गैस ग्लोबल वार्मिंग का प्रमुख कारण है। इस समस्या के समाधान के लिए, CO₂ के उत्सर्जन को कम करना और उसे पुनः उपयोगी उत्पादों में परिवर्तित करना अतिआवश्यक है। इसको ध्यान में रखते हुए इसका नवाचार किया गया है। आईआईटी (आईएसएम) धनबाद की टीम ने नाइट्रोजन-ड्रॉप्ड मल्टीलेयर ग्राफीन नैनो पाउडर विकसित किया है, जो CO₂ को अवशोषित करने में अत्यंत प्रभावी है। इस पाउडर की संरचना बहुपरत और अत्यधिक छिद्रयुक्त होने के कारण ये CO₂ को कुशलता से कैप्चर करने के लिए आदर्श है। इस तकनीक की विशेषता यह है कि यह कम लागत वाली और पर्यावरण-अनुकूल है, जिससे बड़े पैमाने पर इसका उपयोग संभव है। इस नैनो पाउडर के उत्पादन में बायोमास, विशेषकर बांस पाउडर का उपयोग किया गया है। बांस पाउडर को सुखाकर, यूरिया के साथ मिलाकर नाइट्रोजन-ड्रॉप्ड ग्राफीन नैनो पाउडर तैयार किया गया है। इस प्रक्रिया की लागत अत्यंत बहुत कम है, जिससे यह उद्योगों के लिए एक आसानी से उपलब्ध करवायी जा सकता है। इस नैनो पाउडर का उपयोग औद्योगिक चिमनियों में CO₂ को अवशोषित करने के लिए किया जा सकता है। अवशोषित CO₂ को फॉर्मेल्डिहाइड जैसे मूल्यवान रसायनों में परिवर्तित किया जा सकता है, जिसका उपयोग रसायन, पेंट, मेडिकल, प्लाईवुड और अन्य उद्योगों में होता है। फॉर्मेल्डिहाइड की बाजार में कीमत लगभग 20,000 रुपये प्रति लीटर है, जिससे यह प्रक्रिया आर्थिक दृष्टिकोण से भी काफी लाभदायक है। इस नवाचार के लिए, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद की टीम ने इंडिया एनर्जी वीक 2025 के तहत आयोजित आईआईटी हैकाथॉन में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में टीम की सफलता की घोषणा की। इस उपलब्धि के लिए टीम को केंद्रीय मंत्री द्वारा सम्मानित भी किया गया है। इस तकनीक की कम लागत और उच्च प्रभावशीलता इसे व्यापक औद्योगिक उपयोग के लिए उपयुक्त बनाती है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अनुसंधान एवं विकास विभाग ने भी इस उत्पाद में रुचि दिखाई है। भविष्य में, यह नवाचार न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के छात्रों का यह नवाचार प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल पर्यावरण की सुरक्षा होगी, बल्कि उद्योगों को आर्थिक लाभ भी मिलेगा। इस प्रकार के अनुसंधान और विकास से ही हम एक स्वच्छ और हरित भविष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
नवाचार की आवश्यकता क्यों पड़ी?
नाइट्रोजन-ड्रॉप्ड मल्टीलेयर ग्राफीन नैनो पाउडर: एक क्रांतिकारी समाधान कैसे बनेगा?
इसको किस तरह तैयार किया गया है?
उद्योगों में किस तरह काम में लिया जायेगा?
उत्पाद को मिली राष्ट्रीय मान्यता
भविष्य की संभावनाएँ
आम आदमी को क्या लाभ मिलेगा?
