सरकार का सारा ध्यान सौर ऊर्जा पर, लेकिन लक्ष्य से काफी पीछे

संसद की ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति ने मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (एमएनआरई) की 2024-25 के लिए अनुदान मांगों पर अपनी दूसरी रिपोर्ट में सरकार की सौर ऊर्जा योजनाओं और उनकी प्रगति को लेकर कई सवाल उठाए हैं। सरकार ने साल 2030 तक सौर ऊर्जा से 2,92,000 मेगावाट क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य तय किया है, लेकिन अब तक यह लक्ष्य बेहद धीमी गति से पूरा हो रहा है।

लक्ष्य से दूर, प्रगति धीमी

देश की कुल सौर ऊर्जा क्षमता 7,48,990 मेगावाट है। इसके मुकाबले, 30 सितंबर 2024 तक केवल 90,760 मेगावाट क्षमता ही स्थापित की जा सकी है। यह कुल क्षमता का मात्र 12 प्रतिशत है।

सौर योजनाओं की समीक्षा

स्थायी समिति ने एमएनआरई द्वारा सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर किए जा रहे प्रयासों को नाकाफी बताया। समिति ने टिप्पणी की, “सौर ऊर्जा से संबंधित योजनाओं को लागू करने की प्रगति संतोषजनक नहीं है।” उदाहरण के तौर पर, “पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना” को 2024-25 के बजट में 6250 करोड़ रुपए आवंटित किए गए और 25 लाख छतों पर सोलर सिस्टम लगाने का लक्ष्य रखा गया। इस योजना का अंतिम लक्ष्य 2026-27 तक 1 करोड़ घरों की छतों पर सोलर सिस्टम लगाना है। लेकिन अब तक केवल 4.8 लाख घरों में सोलर पैनल लगाए जा सके हैं और उनमें से 2.8 लाख घरों को सब्सिडी दी गई है। मंत्रालय ने धीमी प्रगति का कारण बारिश को बताया और कहा कि रोजाना 3 से 3.5 हजार सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। लेकिन समिति ने कहा, “योजना की गति असंतोषजनक है।”

बजट पर उठे सवाल

एमएनआरई ने 2024-25 के लिए 12,001.70 करोड़ रुपए की आवश्यकता जताई थी, जबकि 21,230 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। यह पिछले वर्षों की तुलना में 170 प्रतिशत अधिक है। लेकिन पिछली योजनाओं के अनुभवों को देखते हुए यह देखा गया है कि मंत्रालय पूरे बजट का उपयोग नहीं कर पाता। पिछले वित्तीय वर्षों में बजट उपयोग क्रमशः 88 प्रतिशत (2021-22), 82 प्रतिशत (2022-23), और 83 प्रतिशत (2023-24) रहा। विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में बजट उपयोग बेहद कम रहा, जो 2021-22 में 13 प्रतिशत, 2022-23 में 2 प्रतिशत और 2023-24 में 4 प्रतिशत था।

अन्य ऊर्जा स्रोतों की अनदेखी

स्थायी समिति ने रिपोर्ट में बताया कि मंत्रालय का 87 प्रतिशत बजट सौर ऊर्जा पर खर्च किया जा रहा है। जबकि पवन, लघु जल विद्युत, जैव ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन जैसे अन्य नवीकरणीय स्रोतों पर बेहद कम ध्यान दिया गया है।

2030 का लक्ष्य और वर्तमान स्थिति

मंत्रालय का लक्ष्य 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 500 गीगावाट विद्युत क्षमता स्थापित करना है। अब तक 209.63 गीगावाट क्षमता स्थापित हो चुकी है, जिसमें 201.45 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा और 8.18 गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल है। हालांकि, 452.7 गीगावाट की कुल स्थापित विद्युत क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों की हिस्सेदारी अभी 46.31 प्रतिशत है।

सरकार का सारा ध्यान सौर ऊर्जा पर केंद्रित है, लेकिन अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अनदेखी हो रही है। योजनाओं के क्रियान्वयन की गति और बजट उपयोग की दक्षता बढ़ाने की जरूरत है, ताकि 2030 तक तय किए गए लक्ष्य को पूरा किया जा सके।

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