कुछ पौधे गर्म तापमान के साथ जल्द ढल जाते हैं, ऐसे में वो प्रतिक्रिया स्वरूप मौसम से पहले ही जल्द अंकुरित हो जाते हैं। वहीं अन्य प्रजातियां इन बदलावों का सामना करने के लिए उतनी तैयार नहीं हो पाती है।
हमारी धरती पहले से कहीं ज्यादा तेजी से गर्म हो रही है, ऐसे में यह समझना बेहद महत्वपूर्ण है कि इसका पारिस्थितिकी तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा। देखा जाए तो जलवायु में आते इन बदलावों की वजह से पौधों और जीवों पर पड़ने वाले कुछ प्रभाव तो बेहद स्पष्ट हैं, जैसे जीवों का बढ़ता प्रवास और फूलों का समय से पहले खिलना। लेकिन इसकी वजह से कुछ बदलाव ऐसे भी हो रहे हैं जो बेहद महीन और जटिल हैं। बढ़ते तापमान के साथ प्रजातियों और पारिस्थितिकी तंत्र में प्राकृतिक घटनाओं के समय जैसे कि बीजों के अंकुरण और पौधों की वृद्धि का समय आदि में भी बदलाव आ रहा है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि इन बदलावों के गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। होल्डन फॉरेस्ट्स एंड गार्डन्स, नॉर्थवेस्टर्न और येल यूनिवर्सिटी से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि तापमान में होती वृद्धि कैसे अंकुरण के समय में बदलाव करके वनस्पति समुदायों को प्रभावित कर रही है। इस अध्ययन के नतीजे जर्नल इकोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक अंकुरण का समय न केवल किसी एक प्रजाति बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब कोई बीज उपजना शुरू करता है तो उसका समय इस बात को प्रभावित करता है कि वो सूर्य के प्रकाश, पानी और पोषक तत्वों के लिए कितनी अच्छी तरह प्रतिस्पर्धा करता है। कुछ पौधे गर्म तापमान के साथ जल्द समायोजित हो जाते हैं, ऐसे में वो प्रतिक्रिया स्वरूप मौसम से पहले ही जल्द अंकुरित हो जाते हैं। वहीं अन्य प्रजातियां इन बदलावों का सामना करने के लिए उतनी तैयार नहीं होती ऐसे में उनका अंकुरण अपने सामान्य समय पर ही होता है। इसकी वजह से कुछ प्रजातियों को जो इन बदलावों को जल्द अपना लेती हैं, उन्हें इसका फायदा मिल सकता है। ऐसे में इन प्रजातियों को हावी होने और वनस्पति समुदाय में बदलाव का मौका मिल सकता है। इसका सीधा असर इन वनस्पतियों पर निर्भर पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ता है। अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इसी तथ्य को उजागर किया है कि कैसे बढ़ते तापमान के चलते बीज के अंकुरण का समय बदल जाता है, जिससे पौधों की प्रजातियों के बढ़ने का क्रम प्रभावित होता है।
शोध के मुताबिक जो पौधे पहले अंकुरित होतें हैं, वो कहीं ज्यादा बड़े हो सकते हैं। ऐसे में उनके और बाद में अंकुरित होने वाले पौधों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है। ऐसे में समय के साथ, यह प्रभावित कर सकता है कि कौन सी प्रजातियां पनपती हैं और कौन सी घट सकती हैं। इसका सीधा असर उन जानवरों, कीड़ों और अन्य जीवों पर पड़ता है जो इन पर निर्भर हैं। जलवायु परिवर्तन का पादप समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ता है, इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए अपने अध्ययन में एम्मा डावसन-ग्लास के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने एक नियंत्रित अध्ययन किया है। इसमें उन्होंने पौधों की 15 प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित किया है। अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने तापमान से जुड़ी दो स्थितियों का अनुकरण किया है। इस दौरान वर्तमान परिवेश और तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस के साथ पादप समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ता है, उसका अध्ययन किया गया है। इस सेटअप से शोधकर्ताओं को यह देखने का अवसर मिला कि तापमान में होने वाला बदलाव किस प्रकार बीजों के अंकुरण के समय को प्रभावित करता है। अध्ययन का उद्देश्य यह निर्धारित करना था कि तापमान में होने वाली वृद्धि से कौन सी प्रजातियां पहले अंकुरित होती हैं तथा यह बदलाव वनस्पतियों के बीच पारस्परिक क्रिया को किस प्रकार प्रभावित करता है।
गर्म होती दुनिया में पौधों के बीच बढ़ रही प्रतिस्पर्धा
अध्ययन के नतीजे दर्शाते हैं कि गर्म परिस्थितियों में पहले अंकुरित होने वाली प्रजातियों को फायदा मिलता है और वो कहीं ज्यादा बड़ी हो सकती हैं। इस तरह वो सूरज की रोशनी, पोषक तत्वों और पानी के लिए अन्य पौधों से आगे निकल सकती हैं। यह प्रक्रिया पादप समुदाय की संरचना में बदलाव कर सकती है। नतीजन पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ सकता है। अध्ययन के दौरान सभी पौधों ने स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दिखाई थी, कुछ ने गर्मी के बावजूद स्थिर वृद्धि बनाए रखी। यह परिवर्तनशीलता बताती है कि जलवायु परिवर्तन सभी प्रजातियों को समान रूप से प्रभावित नहीं करेगा, जिससे पादप समुदायों के लिए अप्रत्याशित भविष्य पैदा होगा। देखा जाए तो पादप समुदाय की संरचना में आने वाला यह बदलाव समय के साथ शाकाहारी जीवों को करेगा, जो भोजन के लिए कुछ विशिष्ट पौधों पर निर्भर हैं। इसका असर इन मांसाहारी जीवों पर भी पड़ेगा जो इन शाकाहारी जीवों पर निर्भर है। इस तरह यह पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव की वजह बन सकता है। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि कुछ प्रजातियां मौसमी बदलावों के अनुरूप अपने समय में बदलाव कर सकती हैं, जो उनके विकास के लिए फायदेमंद होता है। यह इस बात को भी उजागर करता है कि जलवायु में आता बदलाव पहले ही पारिस्थितिकी तंत्र को नया आकार दे रहा है, जिसे हम अभी समझना शुरू कर रहे हैं।