दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट बन चुका है। नदी का जल स्तर खतरनाक रूप से प्रदूषित हो चुका है, जिससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है, बल्कि स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को यमुना पुनर्जीवन के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना प्रस्तुत की है।
यमुना नदी की वर्तमान स्थिति क्या है?:
यमुना नदी, जो कभी अपने स्वच्छ और पवित्र जल के लिए जानी जाती थी, आज अत्यधिक प्रदूषण का शिकार है। दिल्ली के वज़ीराबाद बैराज से ओखला बैराज तक का 22 किलोमीटर लंबा खंड नदी की कुल लंबाई का मात्र 2% है, लेकिन यह खंड नदी के कुल प्रदूषण का लगभग 80% वहन करता है। इस क्षेत्र में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर के मानक से कहीं अधिक है, जो जल गुणवत्ता के लिए हानिकारक है। नदी में घरेलू सीवेज, औद्योगिक कचरा और कृषि अपशिष्ट का अनियंत्रित प्रवाह इसके प्रदूषण के मुख्य कारण बन गया हैं।
प्रस्तावित कार्ययोजना में क्या बिंदु रखें गये है ?
1. सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता में वृद्धि: वर्तमान में, दिल्ली की सीवेज उपचार क्षमता 792 मिलियन गैलन प्रति दिन (MGD) है। इस क्षमता को दिसंबर 2026 तक 964.5 MGD तक बढ़ाने की योजना है, जिसमें नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) की स्थापना और मौजूदा प्लांट्स का उन्नयन शामिल है।
2. नालों का प्रबंधन: यमुना में बहने वाले 22 प्रमुख नालों में से 10 को पहले ही टैप किया जा चुका है, 2 आंशिक रूप से टैप किए गए हैं, और 8 अभी भी टैप किए जाने बाकी हैं। दिसंबर 2025 तक नजफगढ़, शाहदरा, बारापुला, महारानी बाग और मोरी गेट जैसे प्रमुख नालों से 48.14 MGD अपशिष्ट जल को मोड़ने का लक्ष्य है।
3. अनधिकृत कॉलोनियों में सीवरेज नेटवर्क का विस्तार: दिल्ली में 1,799 अनधिकृत कॉलोनियों में सीवरेज नेटवर्क का काम चल रहा है, जिसे दिसंबर 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे इन क्षेत्रों से अपशिष्ट जल का उचित प्रबंधन संभव हो पायेगा, ये वर्तमान में सीधे यमुना नदी में प्रवाहित होते है।
4. बाढ़ के मैदानों से अतिक्रमण हटाना: पिछले 31 महीनों में 1,500 एकड़ से अधिक बाढ़ के मैदानों को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है। आगे के अतिक्रमणों के आकलन और उन्हें हटाने के लिए ड्रोन द्वारा भी सर्वेक्षण करवाया जा रहा है।
5. नदी तट का सौंदर्यीकरण: योजना में 1,600 हेक्टेयर में फैले 11 जैव विविधता पार्कों का विकास और ऐतिहासिक घाटों का जीर्णोद्धार किया गया है। जिसमें वासुदेव घाट का विकास पहले ही हो चुका है, और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) अन्य पुराने घाटों के संरक्षण पर कार्य किया जा रहा है।
कार्ययोजना की चुनौतियाँ और आगे की राह:
यमुना नदी की सफाई और पुनर्जीवन एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें कई चुनौतियाँ सामने आती हैं। जैसे कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना और संचालन में तकनीकी और वित्तीय बाधाएँ आ सकती हैं। इसके अलावा, अनाधिकृत कॉलोनियों में सीवरेज नेटवर्क का विस्तार करने में स्थानीय निवासियों के सहयोग और जागरूकता पर निर्भर करता यदि इनका गतिरोध हो तो यह कार्ययोजना में देरी ला सकते है। बाढ़ के मैदानों से अतिक्रमण हटाने में कानूनी और सामाजिक चुनौतियाँ भी प्रमुख रूप से सामने आ सकती हैं।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, सरकार, स्थानीय निकायों और नागरिकों के बीच समन्वय और सहयोग आवश्यक है। साथ ही, प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त नियमों का पालन और औद्योगिक इकाइयों की नियमित निगरानी भी महत्वपूर्ण है। नदी के तटों पर हरित क्षेत्र विकसित करने से न केवल पर्यावरणीय लाभ होंगे, बल्कि यह स्थानीय समुदायों के लिए मनोरंजन और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र भी बन सकते हैं।
आमजन के लिए क्या फायदा होगा?
यमुना नदी दिल्ली की जीवनरेखा है, और इसका संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा प्रस्तुत यह कार्ययोजना एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसकी सफलता हमारे सक्रिय सहयोग और सतत प्रयासों पर निर्भर करती है। हम सभी मिलकर यमुना को फिर से स्वच्छ और जीवंत बनाने के इस प्रयास में एक जागरूकता फैलाकर अपना योगदान दे सकते हैं।